दीपक विश्वकर्मा (9334153201 )-अगर आप अधिक उम्र में सुंदर दिखना चाहते हैं तो इसके लिए आपको महानगरों के कॉस्मेटिक सर्जन के पास जाने की आवश्यकता नहीं होगी |  जिला मुख्यालय बिहारशरीफ के डॉक्टर्स कॉलोनी स्थित डॉ अश्वनी कुमार वर्मा के  ENT   क्लिनिक में कल यानि  शनिवार को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस अश्विनी कॉस्मेटिक हॉस्पिटल का शुभारंभ होने जा रहा है | जिसका उद्घाटन नालंदा के डीएम योगेंद्र सिंह के हाथों किया जाएगा | दरअसल ENT के मामले में बिहार झारखंड  प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ अश्वनी कुमार वर्मा की सुपुत्री अचला वर्मा इस हॉस्पिटल का संचालन करेंगी |  सबसे बड़ी बात यह है कि जिस प्रकार डॉक्टर अश्वनी वर्मा ने अपने क्लीनिक में विश्वस्तरीय मशीनों को लगा रखा है उससे कहीं बेहतर अत्याधुनिक मशीन कॉस्मेटिक सर्जरी के लिए मंगाई गई है | हम आपको बता दें डॉ अचला वर्मा शहर के सुप्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक डॉ अरविंद कुमार सिन्हा और डॉ सुनीति सिन्हा की बहू हैं |  यानी सीधे तौर पर यह कहा जा सकता है कि आने वाले समय में जिस प्रकार इनके पिता और ससुर और सासु माँ ने चिकित्सा के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त की है उसे यह बरकरार रखेंगी |

हम आपको बतादें डॉ. अभिनव सिन्हा डॉ अरविन्द कुमार सिन्हा के सुपुत्र और डॉ अचला के पति हैं जो अपने पिता की विरासत को संभालने में लगे हैं ये भी नेत्र चिकित्सक हैं | इंदु वर्मा डॉ  अचला की माँ हैं |  डॉ अचला का मानना है कि मैं इसी मिट्टी की हूँ  और यहां के लोगों को कम बजट में बेहतर सेवा देने का काम करूंगी | कॉस्मेटिक सर्जरी कोई नई पद्धति नहीं है यह आदि काल से चली आ रही है | बदलते परिवेश में इसका स्वरूप ब्यूटी पार्लर और  व्यूटी क्लीनिकों ने ले रखा था | शहर के कई ऐसे भी की पार्लर हैं जिसे ब्यूटी क्लीनिक का भी नाम दिया गया है | मगर उन ब्यूटी पार्लरो में वह मशीनें नहीं होती हैं जो त्वचा के मापदंड को जाँच कर  उसका ट्रीटमेंट कर सके  | मगर इस हॉस्पिटल में वर्ल्ड क्लास की मशीने लगी हैं जो ब्लड से लेकर स्किन तक की जांच कर सही ट्रीटमेंट दे पायेगा | हम आपको जानकारी देना चाहेंगे की प्लास्टिक सर्जरी प्राचीन भारत की ही देन है जिसे पूरा विश्व अपना रहा है |

अगर हम बात करें फिल्म इंडस्ट्री की तो अधिक उम्र वाले फिल्म स्टार परदे पर कम उम्र के दीखते हैं यह कमाल है इसी सर्जरी का |यह भारत के लिए बहुत गर्व की बात है कि हमारे देश में ही प्लास्टिक सर्जरी के बीज बोए गए थे और दुनिया भी करीब 3000 ईसा पूर्व ‘सुश्रुत संहिता’ में उल्लिखित वैज्ञानिक विचार प्रक्रिया तथा विभिन्न पुनर्निर्माण प्रक्रियाओं के लिए सर्जिकल चरणों में परिलक्षित अनुभव, विषेश रूप से ‘राइनोप्लास्टी’ (नाक का काम) को स्वीकार करती है। प्राचीन भारत में व्याभिचार के दोषियों और युद्ध बंदियों की नाक काटना सजा का सामान्य रूप था, इसलिए राइनोप्लास्टी (नाक को ठीक करना) काफी प्रचलित कला थी, जो भारत ने समूचे विश्व को दी।विश्व युद्ध) के दौरान अंगभंग ने पुनर्निर्माण प्लास्टिक सर्जरी की भारी मांग पैदा की और यह विषेशज्ञता इस युग में पुनर्जन्म की तरह थी।

सिर से लेकर पैर तक विभिन्न तरह की विकृतियों को सही करने के लिए प्लास्टिक सर्जिकल प्रक्रियाओं की एक श्रृंखला विकसित की गई, जिसमें जन्म के समय से कान की छोटी विकृति को सही करना (ओटोप्लास्टी) से लेकर पैर की हड्डी का उपयोग कर जबड़े के पुनर्निर्माण (माइक्रोवैस्कुलर फिबुला फ्लैप) की जटिल प्रक्रिया, बांह में आघात के कारण पक्षाघात की स्थिति में कामकाज करने में सक्षम बनाने (माइक्रोन्यूरल रिकंस्ट्रक्शन ऑफ ब्रेकियल प्लेक्सेस और फ्री फंक्शनिंग मसल ट्रांसफर), चेहरे के पक्षघात के मामले में फंक्शन को सक्षम करने के लिए मांसपेशी हस्तांरण, पैर के अंगूठे को हाथ में अंगूठे की जगह हस्तांतरित करने या लिंग परिवर्तन सर्जरी (जेंडर रीअसाइनमेंट सर्जरी) शामिल हैं। इनके अलावा प्लास्टिक सर्जरी की दुनिया ग्लैमर और चमक-दमक से कहीं बढ़कर है। एंटी-ऐजिंग सर्जरी और चेहरे तथा षरीर को खूबसूरत बनाने की काफी मांग है, षरीर को समरूप बनाने की समान्य प्रक्रिया लिपोसक्षन है। वजन में अत्यधिक कमी के बाद (बैरिएट्रिक बॉडी समरूपन के बाद) शरीर को समरूप बनाना प्लास्टिक सर्जरी में नई विधा है। औैर रीजेनरेटिव मेडिसिन अभी भी नई है जिसमें प्लास्टिक सर्जन्स जीवन चक्र को पलटने में सक्षम हो सकते हैं। वैसे भी, प्लास्टिक सर्जरी आवष्यक है और संपूर्ण समाज को समृद्ध कर रही है।

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