nalanda बिहारशरीफ के बड़ी दरगाह स्थित शेख सरफुद्दीन अहमद यहिया मनेरी रहमतुल्ला अलैह के आस्ताने पर बीती रात देश विदेश के लाखों जायरीनों ने चादर पोशी कर अमन की दुआएं मांगी । उर्स का सिलसिला देर रात शुरू हुआ जो प्रातः तक जारी रहा । देर रात बड़ी दरगाह के गद्दी नशीन सैयद शाह सैफुद्दीन फिरदौसी ,पीर साहब खानकाह मुअज्जम से डोली पर सवार होकर बड़ी दरगाह पहुंचे जहां | मखदूम ए जहां के कुल में शामिल हुए । रात भर दुआओं का दौर चलता रहा । हम आपको बता दें उर्स के मौके पर बड़ी दरगाह में 10 दिनों तक मेले का भी आयोजन किया जाता है । दरअसल पिछले 2 वर्षों से कोविड के कारण उर्स मेला नहीं लगाए गए थे ।मगर इस बार बड़े पैमाने पर मेला आयोजित किए गए ।जिसमें दोनों समुदाय के लोग शामिल हुए ।
फारसी से उर्दू में ट्रांसलेट की गई मखदूम, ए ,जहां के जीवन पर लिखी गई किताब के बारे में सैयद शाह सैफुद्दीन फिरदौसी ,पीर साहब ने बताया कि उस किताब में यह जिक्र किया है ।कि उस वक्त बिजली नहीं थी और रात के समय ही कुल होता है और खानकाह से डोली पर सवार होकर सज्जादा नशीन आस्ताने तक जाते हैं और चादर पोशी करते हैं l
जिसके कारण बड़ी दरगाह में चिराग जलाए जाते थे ।यही कारण है कि इस मेले को चिरागा मेले के नाम से भी जाना जाता है । उन्होंने कहा कि उर्स के मौके पर देश के कोने-कोने से आए जायरीनों के लिए न केवल ठहरने की बल्कि खानकाह मुअज्जम में लंगर का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि उर्स एक तहजीब है ।मोहब्बत का पैगाम है जो पूरी दुनिया के लोगों को अमन का पैगाम देता है ।
दीपक विश्वकर्मा