दीपक विश्वकर्मा ( 9334153201 ) राजगीर के दिगम्बर जैन सरस्वती भवन में आचार्य महावीरकीर्ति जैन धर्म के श्रुत पंचमी के उपलक्ष्य में सामुहिक पूजन का आयोजन किया गया । जिसमें शास्त्र एवं वाग्देवी कि आराधना कर देवशास्त्र गुरु की पूजा, श्रुत पंचमी व्रत पूजन, समुच्चय चौबीसी पूजा के पश्चात् जिनवाणी माता की आरती धूमधाम से सम्पन्न हुई । इसके पूर्व सरस्वती भवन में स्थापित 20 वें तीर्थंकर भगवान मुनिसुव्रतनाथ स्वामी के चरण का अभिषेक पूजन एवं आचार्य महावीरकीर्ति महाराज के प्रतिमा का प्रक्षाल – पूजन तथा आरती के पश्चात वाग्देवी की पूजन कर सभी लोगों में प्रसाद वितरण किया गया।
विदित हो कि तीर्थंकर भगवान महावीर की द्वादशांग वाणी की श्रुत परम्परा उनके निर्वाण पश्चात् 683 वर्षो तक मौखिक रूप से चलती रही । भगवान महावीर के पहले द्रव्यश्रुत की दृष्टि से कोई जैन साहित्य उपलब्ध नही है । किन्तु भगवान महावीर के पूर्व प्रचलित ज्ञान भंडार को श्रमण परम्परा में पूर्व की संज्ञा दी गई है ।
समस्त पूर्वो के अंतिम ज्ञाता श्रुतकेवली भद्रबाहु थे कालानुक्रम से लोगों की स्मृति क्षीण होती जा रही थी । वीर निर्वाण संवत 614 ई.पू. में गिरिनगर (गिरिनार पर्वत) की चन्द्र गुफा के निवासी एकमात्र आचार्य धरसेन ही आगम के एक देश ज्ञाता थे ।

श्रुत परम्परा को लुप्त होने से बचाने हेतु आचार्य धरसेन महाराज ने अपने दो प्रखर बुद्धिमान शिष्य मुनि पुष्पदन्त एवं मुनि भुतबलि (ई०पू० प्रथम शताब्दी) को उपदेश एवं शिक्षा देकर श्रुत ज्ञान को जैनागम ग्रन्थराज – ‘षटखण्डागम’ के रूप में ताड़पत्र पर उत्कीर्ण कराया । आज के दिन ही यह ग्रन्थ 6000 सूत्रों में ई० सन् 116 में सम्पूर्ण हुआ था । इसी भावना से श्रुत पंचमी का पर्व मनाया जाता है और हम सभी प्रण करते है कि अपने मन्दिरों एवं पुस्तकालयों में रखे हुए ग्रंथो को पढ़ेंगे एवं इन सभी अमूल्य धरोहर की सुरक्षा प्रदान करेंगे ।इस पूजन में राजगीर क्षेत्र के सभी अधिकारी एवं स्थानीय समाज के साथ बाहर से आए जैन तीर्थ यात्री भी उपस्थित हुए जिनमें श्री संजीत जैन, श्री मुकेश जैन, श्री कमल जैन, श्री रवि कुमार जैन, श्री मोनू जैन, श्री पवन जैन, श्री ज्ञान चंद जैन, श्री अशोक जैन, संकेत जैन, गौतम जैन, चीकू जैन, गीता जैन, संपत जैन, खुशबू जैन, प्रेमलता जैन, गुड़िया जैन, रूपा जैन, नैना जैन, आयुषी जैन आदि प्रमुख है। रवि कुमार जैन ने बताया कि इस पूजन में राजगीर क्षेत्र के सभी अधिकारी एवं स्थानीय समाज के साथ बाहर से आये जैन तीर्थ यात्री भी शामिल हुए ।