भिक्षाटन करेगी टीम, सिर्फ एक रुपया का लिया जाएगा सहयोग, दीपक विश्वकर्मा ,पटना में समाजवादी लोक परिषद की एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें परिषद द्वारा मगही भाषा को अष्टम अनुसूची में स्थान दिलाने के लिए जन-जागृति अभियान “घरे-घरे दुआरी-दुआरी’ की शुरुआत करने का निर्णय लिया गया। मगही भाषा को लेकर जन-जागृति लाने के विभिन्न पक्षों पर विचार-विमर्श किया गया । इस दौरान समाजवादी लोक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष हेमांशु शेखर ने बताया कि मगही-सपूत ख्यातिलब्ध मगही व हिंदी के युवा कवि संजीव कुमार मुकेश को “घरे-घरे दुआरी-दुआरी” जन-जागृति अभियान का ब्रांड एम्बेसडर भी बनाया गया है। हमें आशा है कि युवा वर्ग भी माँ की भाषा मगही भाषा के विकास को लेकर अपनी सहभागिता सुनिश्चित करेंगे। ऐसा हमें विश्वास है कि सरकार मगही भाषा-साहित्य व संस्कृति से अवश्य न्याय करेगी । श्री शेखर ने बताया कि मगही संस्कृति बिहार राज्य की एक पहचान है जो अपनी ऐतिहासिक श्रेष्ठता द्वारा बिहार के वैभव में सदैव वृद्धि करती रही है। मगही संस्कृति की जड़ें उसके पुरातात्विक साक्ष्यों के साथ ही साहित्यिक साक्ष्यों में भी विद्यमान हैं किन्तु कालक्रम के परिवर्तन और उनसे प्रभावित परिस्थितियों में मगही भाषा आज उपेक्षित अवस्था में पहुँच गई है, जिस कारण बहुमूल्य मगही साहित्य लुप्त होने के कगार पर आ चुका है और मगही भाषा की कैथी लिपि, व्याकरण आदि का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में प्रसारित हो पाना प्रायः नहीं के बराबर हो गया है। परिणामतः एक उन्नत भाषा पद्धति अपना अस्तित्व खो देने की स्थिति में है। और यदि मगही भाषा ने अपना अस्तित्व खोया तो बिहार अपने सांस्कृतिक सम्मान से हाथ धो बैठेगा। इसलिए मगही को शासकीय संरक्षण की आवश्यकता है और यह तभी संभव है जब मगही भाषा को भारतीय संविधान की अष्टम अनुसूची में जोड़ दिया जाय। सलोप की राष्ट्रीय महासचिव ऋचा झा ने बताया कि सलोप द्वारा 13 जून 2022 से “घरे-घरे दुआरी-दुआरी” जन-जागृति अभियान की शुरुआत की जा रही है। जो पहले चरण में पटना , जहानाबाद , अरवल , औरंगाबाद , गया , नालंदा , नवादा और शेखपुरा में चलाया जाएगा। उसके बाद पड़ोसी राज्य जहाँ के लोग मगही बोलते हैं झारखंड व अन्य राज्य में भी यह अभियान चलाया जाएगा। हमारे बॉन्ड एम्बेसडर संजीव मुकेश जी के नेतृत्व में हमने शिक्षा मंत्री बिहार सरकार, विजय कुमार चौधरी एवं शिक्षा विभाग के प्रधान महासचिव दीपक कुमार सिंह को ‘ मगही भाषा-साहित्य व संस्कृति ’ का इतिहास भी दिया है। इसके साथ ही बैठक में ऋचा झा, सुजाता शर्मा, आनंद कुमार गुप्ता आदि ने भी अपने-अपने विचार रखे।