
nalanda मीडिया ने द्रौपदी मुर्मू की सिर्फ एक खूबी को प्रसारित किया कि वह आदिवासी यानी वनवासी हैं। लेकिन उनके जुझारूपन और उनके संघर्ष को भी जानिए ।

पति और दो बेटों के निधन के बाद पढ़ाई करना… वह भी अपने बच्चों की उम्र के साथ के लोगों के बीच में बैठकर परीक्षाएं पास करते-करते ग्रेजुएट होना। सरकारी नौकरी प्राप्त करना। दो बेटों और पति का निधन के बाद खुद और बेटियों तथा परिवार को सँभालना। उसके बाद छोटी नौकरी से शुरुआत करते हुए परीक्षा देते देते क्लास टू की पोस्ट तक जाना। फिर राजनीति में आना विधायक बनना।
उड़ीसा में मंत्री बनना फिर केंद्र में मंत्री बनना, राज्यपाल बनना।


मुझे हर वह व्यक्ति चाहे वह मेरी विचारधारा का हो या ना हो जो भी जीवन में संघर्ष करके आगे बढ़ा है वह मेरे लिए एक आदर्श है।