
दीपक विश्वकर्मा। किसान ज़िन्दाबाद के राष्ट्रीय संयोजक प्रणव प्रकाश ने नालन्दा को सूखाग्रस्त जिला घोषित करने एवं बारिश नहीं होने के कारण उत्पन्न अभूतपूर्व संकट से निपटने के लिये सरकार से अविलंब जरूरी कदम उठाने की मांग की है। इस बाबत नालन्दा जिला के विभिन्न भागों के दौरा के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर यथाशीघ्र हस्तक्षेप करने की मांग की है।
प्रणव प्रकाश ने अपनी टीम के साथ हरनौत, चंडी, हिलसा, एकंगरसराय, इस्लामपुर, परबलपुर, बेन, अस्थावां सहित नालन्दा के 15 ब्लॉक के किसानों से बातचीत की एवं सूखा से उत्पन्न कृषि समस्याओं की जानकारी ली। इस दौरान उन्होंने संबंधित सरकारी अफसरों से भी मुलाकात की एवं सरकार द्वारा उठाये जाने वाले कदमों की जानकारी ली।
किसान जिंदाबाद के नेता ने कहा है कि मुख्यमंत्री का गृह जिला होने के बावजूद नालन्दा का दुर्भाग्य है कि संपूर्ण सरकारी तंत्र इस कठिन समय में कोई गंभीर कदम उठाने की कोशिश नहीं कर रहा है। ऐसी स्थिति से निबटने के लिये पहले से ही आपातकालीन योजनाएं तैयार होनी चाहिये थी।

प्रणव प्रकाश ने आगे कहा कि बिजली के मोटर और डीजल पम्पों द्वारा कई क्षेत्रों में धान लगाने का प्रयास हो रहा है, मगर किसानों को बिजली बिल एवं डीजल के दाम की भारी चिंता है। साथ में पानी का भूगर्भीय जलस्तर भी नीचे जा रहा है। ऐसे में सरकार को अविलंब बिजली बिल माफ करनी चाहिये।
किसान नेता ने कहा कि पानी के प्रवाह के अध्ययन के बिना बेतरतीब सड़कें बनाये जाने और अतिक्रमण के कारण सदियों से सिंचाई में उपयुक्त छोटी नदियां और नहरें मृतप्राय हो गयी हैं। जरूरत है ऐसी व्यवस्था को पुनर्जीवित करने की। प्रणव प्रकाश ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब एवं दूसरे राज्यों का उदाहरण दिया जहां नहरों की उचित व्यवस्था के कारण किसानों को बारिश पर पूरी तरह निर्भर होने की आवश्यकता नहीं। दूसरे प्रदेश इस दिशा में जमकर काम कर रहे हैं, वहीं हम और पिछड़ते जा रहे हैं।
पत्र में प्रणव प्रकाश ने नालंदा को अविलंब सूखाग्रस्त जिला घोषित करने की मांग की है। साथ ही किसानों के कम से कम 2 लाख तक के कर्ज एवं पुराने बिजली बिल माफ किए जाने, किसानों को सिंचाई के लिए फ्री बिजली दिए जाने, गोशालाओं में भूसे आदि का इंतजाम किए जाने व किसानों के बिजली कनेक्शन न काटे जाने की मांग की है। साथ ही उन्होंने किसानों के लिये नकद अनुदान की व्यवस्था करने की भी मांग की ताकि अन्नदाता को खुद भूखे रहने की नौबत न आये।