
दीपक विश्वकर्मा ,,,,,, जन्माष्टमी के मौके पर बिहारशरीफ के डाक्टर्स कॉलोनी स्थित नालंदा नेत्रालय एंड मेटरनिटी होम अस्पताल में नालंदा आईवीएफ क्लीनिक का उद्घाटन बिहार की प्रख्यात स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ मंजू गीता मिश्रा ने दीप प्रज्वलित कर किया । इस अवसर पर भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की झांकियां बनाई गई थी जो आकर्षण का केंद्र रहा ।इस मौके पर अस्पताल की संचालिका डॉक्टर सुनीति सिन्हा ,नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अरविंद कुमार सिन्हा, डॉक्टर ममता रानी, डॉक्टर प्रीति रंजना, डॉक्टर प्रेरणा प्रियदर्शी, डॉ अभिनव, डॉ अचला वर्मा और डॉक्टर शिवम सिन्हा के अलावे शहर के कई चिकित्सक और गणमान्य लोग उपस्थित थे ।

दरअसल इस चिकित्सा सेवा का लाभ वैसे दंपत्ति को मिलेगा जो निसंतान हैं ।इस मौके पर डॉ मंजू गीता मिश्रा ने बताया कि आज जन्माष्टमी के अवसर पर यह नालंदा आईवीएफ क्लिनिक का शुभारंभ किया गया है । जिसके माध्यम से निसंतान माताओं के गोद भरने का काम किया जाएगा ।उन्होंने बताया की नियमित रूप से 12 महीने या उससे अधिक समय तक यौन संबंध बनाने के बाद भी निसंतान की समस्या झेल रहे हैं ।जो दंपत्ति आर्थिक रुप से कमजोर होने के कारण उपचार नहीं करवा रहे हैं और ज्यादा तनाव में रहते हैं । इन्हीं समस्याओं को देखते हुए निसंतान जोड़ों को कम से कम दरों में फर्टिलिटी उपचार कराने के लिए इस क्लीनिक की शुरुआत की गई है । 0इस मौके पर डॉ सुनीति सिन्हा ने बताया कि उनके क्लीनिक में प्रत्येक रविवार की दोपहर 12:00 बजे से लेकर 2:00 बजे दिन तक निशुल्क परामर्श दिया जाएगा ।उन्होंने बताया कि आईवीएफ प्रक्रिया की मदद से महिलाओं का गर्भाधान कराया जाता है ।जिसका लाभ आजकल दंपत्ति को मिल रहा है। दरअसल इस प्रक्रिया को भ्रूण प्रत्यारोपण कहा जाता है ।यह प्रजनन उपचार है । जो निसंतान जोड़ी के लिए वरदान साबित हुआ है ।

आईवीएफ के दौरान स्त्री के अंडे और पुरुष के स्पर्म को लैब में फर्टिलाइज कर भूर्ण का निर्माण किया जाता है ।भूर्ण तैयार करने के बाद उसे महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है ।दुनिया भर में करीब चार करोड़ 80 लाख कपल्स और 18 करोड़ 6 लाख इंडिविजुअल रूप से लोग पीड़ित है ।दुनिया भर में हर वर्ष आईवीएफ के जरिए लगभग 80 लाख शिशु जन्म लेते हैं । आईबीएफ़ के जरिये जन्मे शिशु को टेस्ट ट्यूब बेबी कहा जाता है ।