दीपक विश्वकर्मा (9334153201 ) पालि और बौद्ध अध्ययन का दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र नव नालंदा महाविहार इस बार अपना 70 वां वर्षगांठ मना रहा है | जिसकी तैयारियां शुरू कर दी गई है | नव नालंदा महाविहार के 70 वर्षों का स्वर्णिम इतिहास रहा है | इस महाविहार की स्थापना भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की परिकल्पना से हुआ |
दरअसल प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के विध्वंस के बाद अंग्रेजी शासन के बाद जब हमारा देश 1947 में आजाद हुआ उस समय डॉ राजेंद्र प्रसाद को इसकी पीड़ा थी और कई देशो के लोगो ने इसकी पुनर्स्थापना की इच्छा जाहिर कि की प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के तर्ज पर एक संस्थान की स्थापना होनी चाहिए और उन्होंने 20 नवंबर 1951 को नव नालंदा महाविहार की आधारशिला रखी | उसके बाद यहां पालि और बौद्ध साहित्य का पठन-पाठन अनुसंधान और पालि विषय के पुस्तकों का प्रकाशन शुरू हुआ |
पहले यह महाविहार बिहार सरकार के अधीनस्थ था जिसके कारण इतने संसाधन यहां नहीं थे | बाद में इस महाविहार को भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने अपने वित्त से विकास शुरू किया और यह केंद्र आज पूरी दुनिया का सबसे बड़ा बौद्ध अध्ययन का केंद्र बन गया | भारत सरकार ने डिम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया | यहां न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के छात्र अध्ययन करते हैं |
महाविहार के कुलपति डॉ बैद्यनाथ लाभ का कहना है कि नव नालंदा महाविहार का इतिहास केवल 70 वर्षों का नहीं है बल्कि मैं इसे 16 सौ वर्षों का मानता हूं चुकी इस महाविहार की स्थापना प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के तर्ज पर बनाई गई | उन्होंने कहा कि यह 70 वें वर्षगांठ के दौरान कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे | जिसमें न केवल यहां के छात्र बल्कि पूरी दुनिया के बौद्ध इतिहास के प्रकांड विद्वान हिस्सा लेंगे | उन्होंने बताया कि इस वर्ष प्लेटिनम जुबली ईयर के मौके पर पूरे 1 वर्ष तक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे जिस का समापन 20 नवंबर को होगा |