दीपक विश्वकर्मा, सोमवार को जिला कांग्रेस कार्यालय राजेन्द्र आश्रम में देश के दो महान विभूतियों पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न आइरन लेडी स्वर्गीय इंदिरा गाँधीजी की पुण्यतिथि एवं भारतरत्न लौह पुरुष स्वर्गीय बल्लभ भाई पटेलजी की जयन्ती श्रद्धा पूर्वक मनाई । गई सर्वप्रथम दोनों के चित्र परमाल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई ।उसके पश्चात एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया विचार गोष्ठी के दौरान दोनों की जीवनी एवं उनके द्वारा किए गए कार्यों पर विशेष रूप से चर्चा करते हुए जिलाध्यक्ष दिलीप कुमार ने कांग्रेसियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज संयोग से हमारी पार्टी के दो महामानवों का जयन्ती एवं पुण्यतिथि है।

जिन्हें पूरा देश लौह पुरुष एवं लौह महिला के नाम से जानते हैं । पटेल साहब ने देश की आज़ादी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी सन 1928 भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान उस समय की प्रांतीय सरकार ने किसानों के लगान में एकाएक 30% की वृद्धि कर दी थी ।सरदार पटेल ने इस लगान वृद्धि का जमकर विरोध किया था एवं उस समय एक सत्याग्रह जिसका नाम बारडोली सत्याग्रह था जिसका नेतृत्व पटेल साहब ने किया था । वे झुके नहीं और अंत में उस समय की सरकार को उनके सामने झुकना पड़ा था । आज़ादी के बाद देश के पहले उप प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री का दायित्व सम्भालने के बाद उन्होंने अपनी सुझ बुझ और कर्मठता से देश के 562 देसी रियासतों को जिसका क्षेत्रफल भारत का 40% था उसे एक कर भारत की मुख्य धारा में जोड़ने का काम अपनी सूझ बूझ से किए थे ।सिर्फ तीन रियासतों जम्मू एवं कश्मीर ,जूनागढ़ और हैदराबाद स्टेट को छोड़कर सभी ने इनकी बात मानी अंत में इन तीनों पर भी बल प्रयोग कर उसे भी अपनी ताकत का लोहा मनवा कर आजाद भारत का हिस्सा बनवाए थे । ऐसे कई उदाहरण हैं जिन्हें शब्दों में बयान नही किया जा सकता है लेकिन होनी को कुछ और ही मंज़ूर था उन्हें सन 1950 में ही काल ने हमलोगों के बीच से छीन लिया कुछ दिन अगर और पटेल साहब हमलोगों के बीच रहते तो देश की दशा कुछ और होती आज जो हमारे किसान अन्नदाता दर दर की ठोकरें खा रहे हैं नौजवान भटक रहे हैं यह देखने को नही मिलता ।

पटेल साहब किसानों और नौजवानों के सच्चे हितैषी थे ठीक इन्हीं की तरह लौह महिला स्व इंदिराजी ने भी अपने कार्यकाल में बहुत ही साहसिक कार्य किए ।जिसे शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता है तीन बार देश की प्रधानमंत्री बनीं 1977 में जब कांग्रेस पूरी तरह से टूट चुकी थी सत्ता से बेदख़ल हो गयी थी फिर भी इन्दिरा जी ने हिम्मत नहीं हारीं और अकेले अपने दम पर 1980 में फिर से सत्ता में वापस आयीं उन्होंने देश की महिलाओं के लिए कई कार्य किए ।इसी का नतीजा था की इसी बिहार की धरती से महिलाओं ने आवाज़ उठाया था की आधी रोटी खाएँगें लेकिन फिर से इन्दिरा गाँधी को ही लाएँगें और उसी नारा का फलादेश 1980 के चुनाव में देखने को मिला । इन्दिरा जी फिर से प्रधानमंत्री बनीं उनके अदम्य साहसी कार्यों में अमृतसर का आपरेसन ब्लू स्टार भी काफी साहसी कार्य रहा जिसमें खलिस्तान उग्रवादियों को समाप्त कर देश को टूटने से बचाने का कार्य उन्होंने किया था । उस समय अगर वह निर्णय नहीं ले पातीं तो आज देश कई भागों में बँट चुका होता भले ही उस नेक कार्यों के चलते ही सन 1984 में प्रधानमंत्री रहते भर में उनकी हत्या हो गयी ।

लेकिन उनके द्वारा दिया गया अंतिम भाषण आज भी भारतवासियों के ज़ेहन में घूमता है। की मैं जीवित रहूँ या ना रहूँ लेकिन मेरे शरीर का एक एक लहू का कतरा एक एक हिंदुस्तान को जीवित रखेगा ।अंत में सभी कांग्रेसियों ने उनके बताए रास्ते पर चलने की बचनबद्धता दुहराई ।इस अवसर पर जिला उपाध्यक्ष जितेंद्र प्रसाद सिंह मो जेड इस्लाम नंदू पासवान ताराचन्द मेहता नवीन गुप्ता उदयशंकर कुशवाहा महताब आलम गुड्डु अधिवक्ता इमत्याज आलम हाफ़िज़ महताब चाँदपुरवे मो बेताब अली बच्चू प्रसाद अजीत कुमार मो शदाब अकबर आलम देवेंद्र यादव मो फ़ैयाज़ नसीम अहमद के अलावे दर्जनों की संख्या में कांग्रेसी कार्यकर्ता मौजूद थे ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *