दीपक विश्वकर्मा,, युवा जोश, नई सोच स्लोगन का इस चुनाव में अल्पसंख्यक समुदाय के युवाओं पर पूरा असर दिखा ।दानिश मलिक को देखने और मिलने की लोग चाहत रखने लगे । धीरे-धीरे यह सिलसिला आगे बढ़ा गरीबों के बीच कंबल वितरण और उनके दुख सुख में भागी बनने के बाद खासकर अल्पसंख्यक समुदाय में दानिश मलिक की लोकप्रियता बढ़ती गई।
बीच में चुनाव रुक गए मगर दानिश मलिक नहीं रुके और उसका परिणाम यह निकला इस नगर निकाय के चुनाव में पूर्व विधायक पप्पू खान का सिक्का नहीं चला और दानिश मलिक की मां आयशा शाहीन डिप्टी मेयर की कुर्सी पर काबिज हो गई ।हालांकि पूर्व में पप्पू खान का इतिहास रहा उनके वोट से अल्पसंख्यक कैंडिडेट की हार हुई है मगर जीत नहीं ।
इस बार दानिश मलिक की मां आयशा शाहीन की जीत ने पूर्व विधायक पप्पू खान की राजनीति पर ग्रहण लगा दिया है। जो युवा कल तक पप्पू खान जिंदाबाद के नारे लगाते थे ,आज वही उनके मोहल्ले के लड़के दानिश मलिक जिंदाबाद के नारे लगा रहे हैं ।आने वाले समय में दानिश मलिक अल्पसंख्यक समुदाय के राजनीति का बड़ा सिक्का साबित हो सकते हैं । पूर्व विधायक पप्पू खान के मेयर और डिप्टी मेयर प्रत्याशी को इतनी कम वोट आए जिसकी उम्मीद उन्होंने भी नहीं रखा था ।