दीपक विश्वकर्मा ,,नव नालंदा महाविहार के छात्र छात्राओं के चेहरे पर डिग्री पाने की खुशी साफ झलक रही थी। दरअसल शुक्रवार को नव नालंदा महाविहार डीम्ड यूनिवर्सिटी का चतुर्थ दीक्षांत समारोह आयोजित किए गए थे। जिसमें 8 सत्रों के पीएचडी एम ए और बीए के देसी विदेशी 1209 छात्रों को डिग्री प्रदान की गई ।समारोह का उद्घाटन केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। जबकि इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में एनआईटी पटना के निदेशक डॉ प्रदीप कुमार जैन मौजूद थे । इस अवसर पर अतिथियों को अंग वस्त्र और मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविहार के कुलपति प्रोफेसर बैद्यनाथ लाभ द्वारा किया गया ।इस मौके पर तीन विद्वानों को मानद
विद्यावारिधि की उपाधि दी गयी ।जिनमे- थिक न्हात तू, प्रो.संघसेन सिंह, प्रो. अंगराज चौधरी शामिल थे।इस अवसर पर मंत्री जी किशन रेड्डी ने समारोह को संबोधित करते हुये कहा कि इस उपाधि के बाद आपकी नई यात्रा शुरू हो रही है जिसमें आपके अनेक सपनें होंगे और बड़े लक्ष्य होंगे।

मगर खुशी की बात यह है कि आज आगे बढ़ने के लिए आपके पास अनुभव है। उन्होने कहा कि छात्र अपने सपनों के साथ-साथ अपनी विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प जरूर करें।
उन्होने कहा कि बुद्धिज्म और बुद्धिस्ट का भारत से पुराना रिश्ता रहा है। हमारे एशियाई देशों से बुद्धिस्ट गुरूओं का निरंतर भारत आना रहा है और आज भी आते है। भारत की नियत, नियति, नीति और नेतृत्व के बुनियादी प्रकृति में बुद्धिज्म और बुद्धिस्ट गुरूओं की प्रेेरणा मौजूद है।

भगवान बुद्ध के संदेश को न सिर्फ भारत के लोगो ने स्वीकार किया है बल्कि हमारी सरकार की नीतियों में भी बुद्धिस्ट विचारधारा दिखाई देती है ।फिर चाहे वो हमारी विदेश नीति हो, राज्य सरकारों के साथ को ऑर्डिनेशन हो या फिर गरीब कल्याण की योजनाएं हो। इतना हीं नहीं बुद्ध दर्शन में अप्प दीपो भव मंत्र हीं भारत के आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा भी है।

तक्षशिला, विक्रमशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालय प्राचीन काल में भारत के गौरव स्थल रहें है। उन्होने नालंदा के गौरवशाली इतिहास पर चर्चा करते हुये कहा कि नालंदा प्रतीक है हमारी प्राचीन ज्ञान परंपरा का, हमारी सभ्यता का और समृद्ध संस्कृति का, हमारी गौरवशाली विरासत का, महान गुरू शिष्य परंपरा का, मानवता और उच्च जीवन मूल्यों का, अनके संवाद और चर्चाओं का, कला दर्शन और विज्ञान का, व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण का।उन्होने कहा कि अनेक वर्षों के कोलोनियल रूल ने भारत के सांस्कृतिक और ज्ञान परंपरा को चारों तरफ से नुकसान पहुंचाया। फिर चाहे वह ब्रिटिश रूल हो, मुगल शासन हो या बख्तियार खिलजी का शासन हो हमारे उच्च जीवन मूल्यों को नष्ट किया गया। जान बूझकर हमें हमारा गौरवशाली इतिहास हमें नहीं पढ़ाया गया।
उन्होने कहा कि हमारे बारे में कहा गया कि हमें इतिहास का कोई ज्ञान नहीं है। हम असभ्य लोग है। हम लालच और स्वार्थ के लिए एक दूसरे के खिलाफ लड़ते है। ऐसी अनेक प्रकार की भ्रांतियां पैदा की गयी और एक नेगेटिव सेट किया गया। क्योंकि वे लोग हमारे आत्मविश्वास और एक दूसरे के प्रति भरोसे को तोड़ना चाहते है। लंबे समय के बाद 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली। हमारे सामने अनेक प्रकार के चुनौती थी। हमे लोगों में खोए हुये आत्मविश्वास को फिर से जगाना था। ऐसे समय में इस नव नालंदा महाविहार की स्थापना हुई। 20 नवंबर 1951 में इस संस्थान के स्थापना समारोह में तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि हम इस विश्वविद्यालय की पुनः स्थापना कर रहें है ताकि दुनिया की नजरों में नालंदा के प्राचीन गौरव को पुनः स्थापित किया जाये। उसी संकल्प को 2014 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगे बढ़ा रहें है। प्रधानमंत्री ने लाल किले से यह कहा कि अमृत काल में हमें गुलामी की मानसिकता से आजादी लेनी होगी और आज हम देखते है कि देश से गुलामी के चिन्हों को हटाया जा रहा है। प्रधानमंत्री जी शिक्षा व्यवस्था को समृद्ध करने की दिशा में लगाातर प्रयास कर रहें है। 2020 में 34 वर्षों के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति आई है। पहली बार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए सरकार द्वारा इतने बड़े स्तर पर देश के शिक्षक, शिक्षाविद, शिक्षा संगठन और बुद्धिजीवि लोगों से राय ली गयी। आज की जरूरतों के हिसाब से राष्ट्रीय शिक्षा नीति है। शिक्षा में कई नये इनोवेशन, मॉडर्न तकनीक, ऑनलाईन शिक्षा, डिजिटल शिक्षा, कला और संस्कृति शिक्षा, स्किल और वोकेशनल शिक्षा, दूरस्थ शिक्षा जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित करती है। देश में बड़े बड़े विद्वानों का मानना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति नए भारत के सपनों को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी और आत्मनिर्भर भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगी। उन्होने कहा कि हम सभी जानते है कि भारत ने अपनी आजादी के गौरवपूर्ण 75 वर्ष पूरे कर लिये है। अब हम आजादी का अमृत काल के लक्ष्यों के पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहें है। हम ये भी जानते है कि भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री ने बीते स्वतंत्रता दिवस पर विरासत पर गर्व करने का भी प्रण लिया है। जब विरासत की बात आती है तो आप लोगों की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है क्योंकि आप ऐसे स्थान पर बैठे है जहां से कभी महात्मा बुद्ध, भगवान महावीर, नागार्जुन, शीलभद्र जैसे महान लोगों ने पूरी दुनिया को अपने ज्ञान से समृद्ध किया था।
उन्होने कहा कि पर्यटन मंत्रालय सभी शैक्षणिक संस्थानों में युवा टूरिज्म क्लब चला रहा है। उन्होने आग्रह किया कि उन क्लब में भी हमारी विरासत पर चर्चा होनी चाहिये। हमारे पूर्वजों ने दुनिया को बंदूक और तलवार की ताकत से नहीं बल्कि शांति और ज्ञान के माध्यम से आगे बढ़ाया है क्योंकि वहीं महात्मा बुद्ध, भगवान महावीर और नालंदा की सच्ची विरासत है। आज जब विश्व में चारों तरफ तनाव और अनेक चुनौतियां बनी हुई है तो हमारी विरासत समाधान का मार्ग देती है। क्यों कि हमने विश्व को एक परिवार माना है और प्रकृति से हमारा गहरा नाता रहा है।
उन्होने कहा कि आज जब भारत जी 20 की अध्यक्षता कर रहा है हमारा दुनिया को यही संदेश है वसुधैव कुटुंबकम, वन अर्थ वन फैमिली और वन फयूचर।
उन्होने कहा कि हमारे लिये यह गर्व की बात है कि हम ऐसे समय में ये डिग्री हासिल कर रहें हे जब भारत अमृत काल के संकल्प कर रहा है। भारत और अपने स्वयं के महान लक्ष्यों को पूरा करने के लिए संकल्प लेने का आह्वान किया। साथ हीं कहा कि हम संस्कृति, कला, साहित्य, दर्शन, धर्म, विरासत, विज्ञान और अनुसंधान को और अधिक मजबूत करें। इस अवसर पर आयोजित समारोह का संचालन प्रोफेसर राणा पुरुषोत्तम कुमार सिंह द्वारा किया गया ।जबकि इस मौके पर महाविहार के रजिस्ट्रार डॉक्टर एसपी सिंहा, परीक्षा नियंत्रक प्रोफेसर विश्वजीत कुमार के अलावे महाविहार के कई शिक्षाविद और विद्वान मौजूद थे ।

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